सियासी गलियारा

मुलायम के फार्मूले को विस्तार देकर अखिलेश ने लिखी नई सियासी इबारत, यूपी में पलट दी बाजी

जातीय चौसर के जरिए सामाजिक समीकरण साधने में यूं तो हर दल ने अपनी भरसक कोशिश की थी, पर इसमें सबसे ज्यादा अखिलेश कामयाब होते दिखे हैं। अखिलेश यादव ने ‘पीडीए’ के फार्मूले को अलग-अलग जगह अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया। पीडीए में ‘ए’ का मतलब कभी अल्पसंख्यक बताया तो कभी आधी आबादी तो कभी अगड़ा। सवर्णों संग ‘पीडीए’ को साध लेने के कारण ही बलिया जैसी सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी व धौरहरा जैसी सीट पर क्षत्रिय प्रत्याशी जीत गए। 

असल में मुलायम सिंह यादव ने जिस ‘एमवाई’ यानी माय (मुस्लिम- यादव) फार्मूले को आजमा कर सियासत की ऊंचाइयों को नापा, अखिलेश यादव ने उसका विस्तार पीडीए के रूप में कर कामयाबी की नई दास्तां लिखी है। पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए के जरिए इंडिया गठबंधन की इन वर्गों को खासतौर पर साधने की रणनीति कामयाब हो गई है। उसके 86 प्रतिशत सांसद ‘पीडीए’ से संबंधित हैं। यह सपा का ऐसा ट्रंप कार्ड है, जिसके चलते विरोधियों के दांव उलटे ही नहीं पड़े बल्कि धराशायी हो गए हैं।  

दलितों को इस तरह साधा 
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस बार 62 सीटों में से यादव बिरादरी के केवल पांच व मुस्लिम वर्ग के चार उम्मीदवारों को टिकट दिया था। सपा ने 2019 में 10 व 2014 में 12 यादवों को टिकट दिया गया था। पहले सपा के साथ दलित वोट जुड़ने में हिचकता था। इस बार यादव बाहुल्य पश्चिम से पूरब तक की सीटों पर दलित भी इससे बखूबी जुड़ा। इंडिया गठबंधन ने भाजपा के चार सौ पार नारे को  संविधान संशोधन के खतरे से जोड़ दिया। इस कारण तमाम सीटों पर बसपा का दलित वोट खिसक कर इंडिया गठबंधन की ओर आ गया। उसे लगा कि बसपा लड़ाई में नहीं है। सपा ने इस बार मेरठ व अयोध्या सामान्य सीट पर भी दलित कार्ड चल दिया। इसमें फैजाबाद सीट सपा जीतने में कामयाब रही और मेरठ सीट केवल 10585 वोटों से हार गई। 

‘पीडीए’ की बिसात को हिंदु मुसलिम की बिसात बनने से रोका 
इंडिया गठबंधन के कैराना, सहारनपुर व गाजीपुर के मुस्लिम प्रत्याशियों ने विवादित बयानों से परहेज रखा। इन सभी ने हिंदुओं के बीच जाकर प्रचार किया। मुस्लिमों ने इस बार खामोशी से अपना समर्थन दिया। गठबंधन यह संदेश देने में कामयाब रहा कि भाजपा को वही रोक सकता है। इसलिए कम मुसलिम प्रत्याशी होने के बावजूद मुसलिम सपा कांग्रेस के संग आए और बसपा के साथ नहीं गए । जैसा कि मायावती ने खुद ही मुस्लिमों पर सहयोग न करने का आरोप लगाया। अखिलेश केवल साल भर में पीडीए फॉर्मूले पर काम कर इतनी सीट ले आए जिससे भाजपा पूर्ण बहुमत पाने से रह गई। उन्होंने दावा किया था कि पीडीए ही एनडीए को हराएगा।

  भाजपा की पिच पर नहीं फिसले अखिलेश
भाजपा ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अखिलेश व राहुल गांधी के अयोध्या न जाने को मुद्दा बनाया। इसकी काट के लिए अखिलेश ने सपा मुख्यालय में भगवान सालिग्राम की पूजा अर्चना की। चुनाव में सपा ने इसी अयोध्या वाली फैजाबाद सीट जीत कर साबित किया कि भाजपा का ये दांव नहीं चला। 

सपा का कामयाब रहा सामाजिक समीकरण 
वर्ग              प्रत्याशी          जीते   
सवर्ण            11                5

  ब्राह्मण           4                   1
ठाकुर            2                   2
वैश्य                2                    1
खत्री                2                    0
भूमिहार         1                     1

  ओबीसी          32                     21

  कुर्मी-पटेल-        10                    7
कुशवाहा-शाक्य
मौर्य-          6                     3
निषाद बिंद          5                      2
यादव-         5                       5
जाट –              2                       1
गुर्जर-              1                       0
राजभर-            1                       1
पाल –              1                       0
लोध –              1                       1

मुस्लिम        4                        4
 

दलित           15                       8

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