सियासी गलियाराहमर छत्तीसगढ़

छत्‍तीसगढ़ में दो दशक में चुनावी मैंदान में उतरीं 70 महिलाएं

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ गठन के बाद प्रदेश में अब तक चार बार लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। इन चुनावों में अब तक 70 महिलाएं चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। इनमें केवल छह महिलाओं की ही किस्मत चमकी और सांसद बनने की मौका मिला। भाजपा-कांग्रेस दोनों पार्टियों के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों से भी महिलाएं चुनाव लड़ चुकी हैं। इतना ही नहीं, कुछ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी चुनावी रण में ताल ठोंक चुकी हैं मगर मतदाताओं ने राष्ट्रीय पार्टियों के नेत्रियों पर ही भरोसा जताया है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 166 प्रत्याशी मैदान में रहे। इनमें 23 महिलाएं, 55 निर्दलीय रहे और तीन महिलाएं ही सांसद बन पाईं।

राज्य गठन के बाद अब तक जो महिलाएं छत्तीसगढ़ से सांसद बनीं उनमें करुणा शुक्ला, सरोज पांडेय, कमला देवी पाटले, ज्योत्सना महंत, रेणुका सिंह, गोमती साय शामिल हैं। अभी भाजपा की ओर से तीन महिलाएं चुनावी मैदान में हैं। इनमें कोरबा से सरोज पांडेय, जांजगीर-चांपा से कमलेश जांगड़े और महासमुंद से रूप कुमारी चौधरी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस भी तीन से चार सीटों में महिलाओं को उतारने की तैयारी कर रही है। हालांकि इसके पहले अविभाजित मध्यप्रदेश की बात करें तो रायपुर से पहली महिला सांसद केसर कुमारी देवी वर्ष 1957-62 रहीं, जबकि अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ से पहली महिला सांसद मिनीमाता थीं।

2004 के चुनाव में 12 महिलाएं मैदान में उतरी थीं। इनमें केवल करुणा शुक्ला जीती थीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में 15 महिलाओं में सरोज पांडेय और कमलादेवी पाटले को ही जीत मिली थी। वर्ष 2009 और 2014 में करुणा शुक्ला चुनाव हार गईं। वर्ष 2014 में सरोज पांडेय भी चुनाव हारीं। वर्ष 2014 में सिर्फ कमला देवी पाटले सांसद बनीं। 2019 के चुनाव में सरगुजा लोकसभा सीट से भाजपा नेत्री रेणुका सिंह, रायगढ़ सीट से भाजपा नेत्री गोमती साय और कोरबा लोकसभा सीट से कांग्रेस नेत्री ज्योत्सना महंत सांसद बनीं। वर्तमान में रेणुका और गोमती विधायक बनने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है और ज्योत्सना महंत अभी वर्तमान में सांसद हैं।

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