राज्य के 2,723 शिक्षक तीन महीने से स्कूलों से बाहर
रायपुर। स्कूलों में सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर पदोन्नति के बाद पदस्थापना (पोस्टिंग) में हुई गड़बड़ी का खामियाजा प्रदेश के हजारों विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। शिक्षा सत्र के बीच में दो हजार से अधिक शिक्षक स्कूलों से बाहर हो गए हैं। मामले में कोर्ट ने राहत देते हुए नवंबर के पहले सप्ताह स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में सभी संयुक्त संचालकों को सदस्य बनाते हुए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही कमेटी को इन शिक्षकों से अभ्यावेदन लेकर मामला निपटाने के लिए कहा है। शिक्षकों का दावा है कि कोर्ट ने विवाद थमने तक पिछले स्कूलों में ज्वाइन करने और शिक्षकों की सैलरी निकालने के लिए निर्देशित किया है, मगर अफसर कोर्ट के आदेश की अपने तरीके से व्याख्या कर रहे हैं। इससे उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो पाई है।
स्कूलों से बाहर हुए शिक्षकों के सामने समस्या हो गई है। बच्चों का भविष्य भी गेहूं के साथ घुन की तरह पिस रहा है मगर अफसरों को इनका विवाद सुलझाने की फुर्सत नहीं है। मामले में स्कूल शिक्षा सचिव डा. एस. भारतीदासन और स्कूल शिक्षा संचालक सुनील कुमार जैन से बात करने की कोशिश की गई मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया। ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने चार सितंबर को उन शिक्षकों की पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया था जिनकी पदस्थापना को संशोधित किया गया था।
प्रदेश के शिक्षा संभागों के संयुक्त संचालकों ने सहायक शिक्षकों की शिक्षक के पद पर पदोन्नति की थी। इसमें 9,749 शिक्षकों ने काउंसिलिंग के लिए विकल्प भरा था और 867 ने सहमति नहीं दी थी। बिलासपुर संभाग में 2,785, दुर्ग संभाग में 1,505, रायपुर संभाग में 1,283, सरगुजा संभाग में 2,997 और बस्तर संभाग में 2206 शिक्षकों को पदोन्नति मिली थी। इनमें ज्यादातर शिक्षकों ने पदोन्नति के बाद पदस्थ किए गए स्कूलों में ज्वाइनिंग दे दी है। बाकी 2,723 शिक्षकों ने अपनी पदस्थापना में संशोधन कराया था। इन्हीं शिक्षकों के संशोधन आदेश को सरकार ने निरस्त कर दिया है।